सोमवार, 23 नवंबर 2009

बाबरी मस्जिद का भूत

सत्रह बरस पहले भावावेश में जनसैलाब ने राममंदिर के ऊपर बनी बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था और तब से अपने राजनैतिक लाभ के लिए विभिन्न सत्तासीन व विपक्ष में बैठी पार्टियों ने इस मुद्दे को गाहे-बगाहे उठाने के भरपूर प्रयास किए । केन्द्र में उस समय बैठी कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए अपनी पूरी राजनीतिक चाल चली और किसी न तरह ज्वलंत मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए अथवा विरोधी पार्टी भाजपा के नेताओं को इसमें शामिल दिखाने के लिए लिब्राहन आयोग रूपी तुरुप के इक्के की चाल चली। एनी प्पर्तियोम ने भी इसे अपने अपने तौर पर भुनाए में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी। यह रिपोर्ट व इसके अध्यक्ष पहले भी कई अनेक बार चर्चित रहे हैं। अब संसद के सत्र के चलते हुए भी यह रिपोर्ट संसद के पटल पर रखे जाने से पहले ही एक समाचार-पत्र में प्रकाशित हो गयी। अब वहां तक कैसे पहुंची,इस बारे में तो जांच से ही पता चलेगा, लेकिन इससे सरकार की मंशा पर प्रश्न-चिह्न तो लग ही गया है। (मेरा ब्लॉग parat dar parat भी देखें )

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