बुधवार, 6 मार्च 2013

injustice to the unemployed

बेरोजगारों से होता अन्याय 

इसे विडम्बना ही कहा जाएगा कि देश में लाखों बेरोजगारों को काम की तलाश है और देश को मानव शक्ति  की निहायत जरुरत है। तिस पर भी न तो बेरोजगारों को रोजगार मिल पा  रहा है और न ही देश को उपयुक्त मानवशक्ति। जो थोड़े बहुत रोजगार पा जाते हैं उनमें से अधिकतर सिफारिश या पैसा अथवा दोनों के सहारे इस काम को अंजाम देते पाए गए हैं। बाकी बचे बेरोजगारों को कुछ स्वार्थी व जालसाज लोग एक सुनियोजित तरीके से लूटने का षड्यंत्र रच लेते है। वे कभी प्राइवेट कम्पनी बनाकर तो कभी सरकारी एजेंसी से मिलते जुलते नाम से फर्जी कम्पनी बनाकर  लाखों और कभी कभी तो करोड़ों रूपए ठग लेते हैं।  न जाने कबतक चलता रहेगा यह सब?