बुधवार, 18 नवंबर 2009

अब फिर खिसियाए ठाकरे

यह विवाद थम तो जाए लेकिन इस तरह के विवादों के सहारे अपनी राजनैतिक रोटियां सकने के आदी बालठाकरे को नींद कैसे आती। इसी लिए उन्होंने अपने समाचार-पत्र सामना में मुम्बई को सभी भारतीयों की बताने व राष्ट्रवाद के प्रति अपनी निष्ठा प्रदर्शित करने के कारण महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर पर ही निशाना साध दिया। अब बेचारे सचिन तेंदुलकर ने तो महाराष्ट्रियन होने के नाते राज ठाकरे की गुंडागर्दी के विरोध में यह बयान दिया होगा ताकि महाराष्ट्र की छवि पूरे देह व् दुनिया में बची रह सके किंतु बाल ठाकरे को यह इसलिए नागवार गुजरा होगा की पहले तो राज ठाकरे ने उसके हाथ से मराठी का मुद्दा छीन लिया और अब सचिन तेंदुलकर ने राज ठाकरे का विरोध करके एक और मौक़ा हथिया लिया। वैसे भी बाल ठाकरे अपनी मूल विचारधारा को छोड़कर सचिन की तरह के बयान देते यह तो सोचना ही बेमानी है। फिर भी उनकी ऊहापोह की स्थिति में रहते हुए सचिन का मराठी या मराठियों के बारेमें बोलना इन्हें कैसे सहन होता क्योंकि मराठी व मराठियों का ठेका तो ठाकरे एंड कंपनी के पास है। लोकसभा के बाद विधानसभा चुनावों में भी करारी शिकस्त से आहत ठाकरे के मन में सत्ता के लिए अपने व् अपने बेटे की राह में आई रुकावट पच नहीं रही है और इसी लिए उनकी छटपटाहट में स्पष्ट झलकता है कि अब उनकी हालत यह है कि खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे। (also read my blog "parat dar parat)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें