गुरुवार, 26 मई 2011
स्वामी अग्निवेश का बडबोलापन
मंगलवार, 24 मई 2011
अधिग्रहण उपजाऊ जमीन का नहीं बेकार की जमीन का हो
सोमवार, 23 मई 2011
गिरता भूजल स्तर और सम्बंधित समस्याएँ
सोमवार, 16 मई 2011
जनता से नाईंसाफी और सरकारी मनमानी
रविवार, 15 मई 2011
पुराने व बेकार हो चुके रिवाजों को बदलें.
शनिवार, 14 मई 2011
जनता की शक्ति लो सलाम
अभीहाल में संपन्न विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आने के बाद यह बात तो स्पष्ट हो गयी है कि जनता अब अधिक देर तक चुनावी झुनझुने को सुनकर ही वोट नहीं देती है बल्कि अब वह मुद्दों के आधार पर पार्टियों को चुनाव में सत्तासीन भी कर देती है और अपनी अपेक्षा के अनुसार न चलने वाले राजनेताओं व उनकी पार्टी को सत्ता से बेदखल भी कर देती है। सत्ता में बैठे नेता इस भ्रम में अब न रहें कि एक बार उन्हें सत्ता में आने के मौका मिल गया तो उन्हें हटाने का काम असं नहीं है,क्योंकि अब जनमानस पहले जैसा भोला व किंकर्तव्यविमूढ़ नहीं रह गया है। जनता को चुनावी भाषण के रूप में गोली देकर पूरे पञ्च साल अपनी मर्जी चलने वाले राजनेताओं को अब चेत जाना चाहिए, वरना वे अपने राजनैतिक कैरियर दांव पर लगाने के लिए तैयार रहें। बिहार में लालू यादव से शुरू करके तमिलनाडू में करूणानिधि एंड कंपनी तथा पश्चिम बंगाल में और केरल में वाम मोर्चे तक चली जा रही यह परंपरा कांग्रेस को तो बहुत पहले से जला रही है। यही कारन है कि केंद्र में छोटे-छोटे राजनैतिक दलों की बैसाखियों के सहारे सरकार चलाने को मजबूर यह पार्टी राज्यों में उनकी पिछलग्गू बन कर रह गयी है। रामविलास जैसे अपने अहं के कारण जनता द्वारा नकारे जा चुके हैं। अब वे अपने राजनैतिक पुनर्वास की बात जोह रहे हैं।
(मेरा अन्य ब्लॉग है: parat dar parat )
सोमवार, 9 मई 2011
कानून सब के लिए बराबर लागू हो.
रविवार, 8 मई 2011
अनुपालन सभी नियमों का कराया जाना चाहिए
शनिवार, 7 मई 2011
रेल सड़क व वायु दुर्घटनाएँ
शुक्रवार, 6 मई 2011
राजनेता बनाम अधिकारी
गुरुवार, 5 मई 2011
कन्या भ्रूण हत्या के पैरोकारो ,जागो
अभीहाल में हरियाणा के भिवानी जिले में दो लड़कियों ने इतिहास रचते हुए कन्या भ्रूण हत्या करने वालों के मुंह पर तमाचा मारते हुए यह दिखा दिया है कि जरुरत पड़ने पर लड़कियां किसी भी तरह से लड़कों से कम नहीं होती। जो लोग उन्हें जन्म लेने से पहले ही पेट में ही मार देते हैं, उनको अपने इस तरह के कुकृत्यों पर पुनर्विचार करना चाहिए । किस्सा जिले के खपडवास गाँव का है जहाँ एक युवती ने अपने भावी दुल्हे व परिवार के सदस्यों की सहमति व सहयोग से घुडचढ़ी की और दुल्हे द्वारा किए जाने वाली सभी रस्में भी अदा की।वह मोनिका! तेरा जज्बा सलाम का हकदार है।
इसी प्रकार एक अन्य युवती ने अपने बीमार पिता को अपनी किडनी दान कर उसे डायलिसिस से छुटकारा दिलाकर सामान्य जीवन जीने का रास्ता दिया। इसा वीर वंदना की वंदना न सही मुक्त कंठ से प्रशंसा जितनी की जाए उतनी कम है। हर क्षेत्र में लड़कों के साथ आगे बढ़ने वाली ऐसी बहादुर लड़कियों को देखकर मन में अनायास ही प्रश्न उठता है कि भ्रूण हत्या करने वाले न जाने ऐसी कितनी बहादुर बेटियों को गर्भ से बाहर ही नहीं आने देते । ऐसे लोगों को अपने इस तरह के विचारों पर गंभीरता के साथ विचार करना चाहिए।
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