सोमवार, 26 अप्रैल 2010

स्वास्थ्य का क्या होगा?

भारतीय चिकित्सा परिषद् के अध्यक्ष के रिश्वत काण्ड में पकडे जाने से साफ हो गया है कि इस संस्था को ही चिकित्सा की आवश्यकता इतनी अधिक है कि इसके न होने से आने वाले दिनों में न जाने कितने डॉक्टर ऐसे हो जाएंगे जो बिना चिकित्सा की पढाई किए ही पैसे देकर चिकित्सक होने की डिग्री प्राप्त कर लेंगे। फिर मरीजों का क्या होगा, यह तो परमात्मा ही जाने। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी जांच के लिए समिति तो गठित कर दी है, लेकिन परिणाम क्या होगा; अभी समय से पहले की बात है। सी.बी.आई की टीम के छापे के दौरान जो सनसनीखेज तथ्य सामने आए हैं, वो सबको चौंकाने वाले हैं। शाही ठाट बाठ की जीती जागती तस्वीर देखने को मिली केतन देसाई के आलीशान बंगले में। एक तरफ गरीब व होनहार छात्र अपने सीमित साधनों के कारण पढाई पूरी करने से भी रह जाते हैं वहीं दूसरी तरफ अरबों में खेलने वाले केतन देसाई सरीखे जन भी हैं जो देश के स्वास्थ्य से ही खिलवाड़ भी कर रहे हैं तथा अकूत धन भी कमा रहे हैं।
-ईश्वर भरद्वाज

रविवार, 25 अप्रैल 2010

सबसे बड़ा रुपैया

पैसा एक ऐसी चीज है जो मनुष्य को इंसान से हैवान तक बन देता है। यह मनुष्य को अहंकारी एवं बुद्धिहीन करने में देर नहीं लगाता है। यह अपनों को ही अपनों के विरुद्ध खड़ा कर देता है तथा सभी रिश्तों को तार-तार कर देता है। सभी प्रकार की मर्यादा को ताक पर रखवा देता है और आदमी को अपने तक ही सीमित बना देता है। अब भारतीय क्रिकेट बोर्ड को ही लीजिए। आज इसमें जो जूतामपजार चला आ रहा है उसके पीछे पैसा ही तो है। कलतक जो साथ-साथ अकूत धन कमा रहे थे आज वही एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं क्योंकि कहीं न कहीं मिल-बाँट करने में चूक रह गयी होगी। पुराने हिसाब बराबर करने वाले भी आ डटे हैं मैदान में। इसका अंत क्या होगा कुछ निश्चित रूप से कह पाना मुश्किल है, किन्तु यह अंत भी पैसा ही करेगा.
-ईश्वर भरद्वाज