सोमवार, 23 जुलाई 2012

attack on baba ramdev

ये खबर हमारे कुछ राजनेताओं को बेशक खुश करे कि मध्यप्रदेश में कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने बाबा  रामदेव के काफिले पर हमला किया व स्वयं बाबा की गाडी पर भी लाठियों से वार किए जिससे गाडी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी। इस घटना में कुछ पुलिस अधिकारी व कर्मचारी तथा अन्य कई लोग घायल हो गए थे। इस के बाद एक कांग्रेसी नेता का बयान आया था कि  हमारे कार्यकर्ताओं ने रामदेव को सभास्थल से खदेड़ दिया और सभा नहीं करने  दी। अपनी पीठ थपथपाने वाले इस बयां से वे नेता शायद  अपने आकाओं को खुश करने की कोशिश करने की नीयत से बोले हों, लेकिन ऐसी मोर्ख्तापूर्ण बयानबाजी का  लोकतंत्र  में कोई   स्थान नहीं है।

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शनिवार, 7 जुलाई 2012

phir wahi ....

इस बार फिर दिल्ली पुलिस ने अन्ना हजारे को जंतर मंतर पर अनशन करने की अनुमति न देकर अपनी राजनैतिक अपरिपक्वता का परिचय दिया है। इतने बडे  जन आन्दोलन को दबाने के ऐसे ओछे हथियार को अपनाने की उम्मीद तो इस सरकार से थी ही। लेकिन बेतुके तर्क देकर उसने अपनी फजीहत ही कराई है। सांसदों को तो यह सब देखना ही चाहिए था कि देश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनता किस प्रकार एकजुट होकर आंदोलित है और सांसदों को उनकी मांग पर ध्यान देना ही चाहिए क्योंकि जनता ने ही सांसदों को चुनकर भेजा है ताकि वे स्वच्छ व पारदर्शी प्रशासन दें और देश की प्रगति में बाधक  भ्रष्टाचार व इसके पोषकों पर नकेल कसने के लिए सशक्त जन लोकपाल की पैरवी करें।| बल्कि वे मिलकर जनता को लूटने की इस व्यवस्था को समूल नष्ट करने के लिए संसद में पुरजोर वकालत करें।|

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