बुधवार, 26 सितंबर 2012

 वही पुराना खेल पैसे सिफारिश की रेलमपेल 

मैंने जब से होश संभाला है दो राजनैतिक कलाबाजियों को देखा भी है और भोगा भी है।  पहली तो यह कि नौजवानों को नौकरी के लिए पढाई की नहीं सिफारिश और धन की जरूरत है। इसी कारण युवाओं का पढाई में रुझान दिन प्रतिदिन घटता जा रहा है और युवा मजबूर हैं नकल के सहारे केवल परीक्षाओं को पास करने को। इससे भ्रष्टाचार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता जा रहा है। पूरा देश त्रस्त  है इस महाराक्षस से। दूसरी बात जो मुझे नागवार गुजरी वह है थोक में दल बदल। इससे वैसे तो पूरा देश ही ग्रस्त है, पर हरियाणा के आयाराम गयाराम तो देश भर में कुख्यात हैं। इसने ही राजनीति  में भ्रष्ट आचरण को सातवें असमान पर पहुंचा दिया है। पहले यह सत्ता सुख पाने के लिए शुरू हुआ और फिर करोड़ों लेकर सत्ता सुख भी लिया जाने लगा। इसी कर्ण चुनावों में येनकेन प्रकारेण अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए मतदाताओं को भी धनादि का लालच दिया जाने लगा और भ्रष्टाचार ने निचे से उपर तक अपनी पैठ बना ली। आज तो राजनीति  में भ्रष्टाचरण द्वारा मिलबांट कर कमाई करने की सूची में पैसे लेकर नौकरी देना भी शामिल हो चुका है। इसीलिए सत्ताधारी दल के विधायक अधिक फायदे  में हैं।

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मंगलवार, 25 सितंबर 2012

कई दिन बाद ब्लॉग लिखने का मौका मिला। पहले तो फोन खराब, फिर इन्टरनेट और कम्प्यूटर में समस्या। बस इसी तरह दिन बीतते बिताते महीने से भी ज्यादा समय लग गया और मैं ब्लॉग पर आ ही नहीं पाया। इस दौरान अनेक परिवर्तन हुए अनेक साथी छूटे  और अनेक जुड़े। अभी भी यह सिलसिला चल ही रहा है।हर और नयापन, हर दिशा में परिवर्तन की लहर। अब जल्दी ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के आने  के लिए रास्ता साफ करने की सरकार  की कवायद और विपक्ष की
हायतौबा दर्शा रही है की जनता तो इस खेल में पीछे छूट  गयी है।

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