सोमवार, 18 जून 2012

rashttraptibhavan- a political field

राष्ट्रपति भवन में अपने चहेते व्यक्ति को भेजने के लिए सभी राजनैतिक दल अपनी राजनीति व रणनीति रच रहे हैं। लोकतन्त्र में यह स्वाभाविक भी है। लेकिन इसके लिए एक स्वच्छ छवि व बेदाग़ दामन वाले व्यक्ति को सर्वसम्मति से चुनने के प्रयास किए जाएं तो देश व समाज के हित में होगा। किन्तु दुर्भाग्यवश राजनैतिक हितों के टकराव के कारण ऐसा नहीं होता है और राष्ट्रपति भवन में अपने पक्ष में फैसले कराने की गरज से अपने अपने उम्मीदवार खड़े किए जाते हैं और इस कारण अकारण ही राष्ट्रपति भवन को राजनीती का अखाडा बना दिया जाता है।

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बुधवार, 13 जून 2012

summer vacation camp in schools

आजकल स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियाँ हैं। इस कारण कई स्कूलों में   सम्मर कैम्प का आयोजन किया जा रहा है। इन कैम्पों के माध्यम से बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार विभिन्न गतिविधियों  में अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर देने की बात कही जाती है। इनमें विभिन्न विषयों के  जानकारों   को बुलाकर बच्चों को  विभिन्न प्रकार की जानकारी दी जाती है। ये अच्छे  और  शुभ   संकेत हैं। यह बात दीगर है कि हर बात में  हमेशा ही सुधार  की गुंजायश बनी रहती है। अत: इस कार्य में सुधार की ओर हम विभाग का ध्यान दिलाना चाहते हैं। आशा है इन कैम्पों के द्वारा नैतिक  शिक्षा  व्  व्यक्तित्व विकास पर ध्यान देते हुए कुछ विषयों को अवश्य ही शामिल किया जाएगा।

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शनिवार, 9 जून 2012

भाजपा की अंतर्कलह
इन दिनों भारतीय जनता पार्टी में कांग्रेस जैसी अंतर्कलह चल रही है। कर्णाटक में पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा अपने बागी तेवरों से जहाँ हाईकमान को परेशान  किए हुए हैं, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी हैसियत के बलबूते संजय जोशी जैसे स्तम्भ को पार्टी से निकलवाने में सफल रहे। राजस्थान में वसुंधरा राजे के बागी तेवरों पर भले ही काबू पलिया गया है, किन्तु आग  अभी भी सुलग रही है। इससे पहले महाराष्ट्र में गोपीनाथ मुंडे अपनी अलग डफली बजाते बजाते रह गए। एक अनुशासित पार्टी मानी जाने वाली पारी में आजकल उच्च स्तर पर चल रहे मतभेद भी किसी से छुपे नहीं हैं। राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका में नजर आने वाली इस पार्टी से जनता को बहुत उम्मीदें हैं। कांग्रेस नीत  संप्रग के विकल्प के रूप में जनता को भाजपा नीत  राजग अपनी आशाओं पर खरा उतरने वाला लगता है। लेकिन इसमें चल रही उठापटक व उच्च स्तर पर आई दरारें उनके मन में संशय पैदा कर रही हैं।
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