शुक्रवार, 20 नवंबर 2009

पत्रकारिता का तमगा लगाकर

महाराष्ट्र में दो गुंडों ने पूरी व्यवस्था को हाइजैक करनेकी कोशिश में एक दूसरे को पछाड़ने की होड़ सी लगाई हुई है। तभी तो स्वयं पत्रकार का तमगा लगाकर अपने पात्र "सामना" में सबपर आग उगलने वाले बाल ठाकरे को अपने सिवा कोई पत्रकार प्रैस की आजादी के लायक नजर नहीं आता है। इसीलिए आज मुम्बई व पुणे में शिवसेना के गुंडों ने उत्पात मचाने में कोई कसर नहीं छोडी। एक न्यूज चैनल के दफ्तर में तोड़फोड़ करने व वहां कार्यरत कर्मचारियों के साथ मारपीट करने वाले इन गुंडों के होश तब ठिकाने आए जब कर्मचारियों ने भी इनका मुकाबला इन्हीं की स्टाइल में करने का फैसला लिया व इनमें से कईयों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। नहले पे दहले के लिए शिवसैनिक भी तैयार नहीं थे। इसी कारण उनमें से कुछ वहां से भागने में सफल हुए और अपनी जान बचाई । शिव सैनिकों की कार्रवाई का बेशर्मी के साथ समर्थन करते हुए संजय राउत नामक एक शिव सेना नेता ने कहा कि बाला साहेब ठाकरे के खिलाफ लिखने वाले किसी भी चेनल के साथ इसी तरह से पेश आया जाएगा। क्या दलील है अपने आपको पत्रकार कहकर उसका भरपूर दुरूपयोग करने की कोशिश में किसी दूसरे पत्रकार पर हमला बोलकर स्वयं लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर प्रहार करके क्या संदेश देना चाहते हैं ये बाल ठाकरे। इस प्रकरण में एक सकारात्म बात यह आई कि राज ठाकरे ने अपने चाचा की इस हरकत की भर्त्सना की है।(also read my blog: parat dar parat)

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