शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

lack of political will creat national problems

our leadership in politics sometime take such decisions which go wrong in the future and become national problems which cannot be handled easily and accurately by the leaders to come. problems like national language are the examples. even after that decisions like reservation on the basis of caste and now sect are such mistakes that cannot be solved otherwise now because it has taken a political turn by this time. no political party can now dare to amend it like giving reservation on economic basis, if must. now any party coming to power will not experiment on some new and practical solution for the fear of losing its vote bank. it is creating more problems and the govt. from time to time try to give solutions of the things from their own point of view which make them more complexed. take the decision of national importance in a well discussed and practical manner keeping aside the self political interests. but unfotunatly it does not happen. that is why things are going to be more and more complicated. it is due to lack of a strong political willpower.
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बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

क्रिकेट की वर्त्तमान दुर्दशा के कारण

क्रिकेट में नागपुर टेस्ट २०१० वास्तव में भारतीय टीम के लिए नश्तर बनाकर चुभता रहेगा। दक्षिण अफ्रीका की टीम के सामने पारी और छः रनों से शर्मनाक हार का सामना जो करना पड़ा। हमारे धुरंधरों की भी सिट्टी पिट्टी गुमसी हो गयी लगी और नंबर एक का ताज भी खतरे में पड़ता नजर अ रहाहै। दरअसल टीम में गलत समय पर किया गया अव्यवहारिक सा लग रहा फेरबदल भी इस हार का एक कारण था। इसके लिए चयन करने वालों की अदूरदर्शिता की बड़ी भूमोका रही है। इस ओर गौर किया जाना अपेक्षित है तथा सुधारात्मक कदम उठाए जाने की बहुत जरुरत है। इसके लिए नए खिलाड़ियों को मौका देने के नाम पर अपने चहेतों को चुनने का लोभ भी घटक साबित हुआ है। अब इसा तरह के लोभ का संवरण करते हुए देश हित व खेल की भावना के अनुरूप ही कदम उठाए जाने चाहिएं।
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रविवार, 7 फ़रवरी 2010

ठाकरे की धमकी के जवाब में राहुल गांधी की मुम्बई यात्रा

संविधान का घोर उल्लंघन व मनमानी के सभी रिकार्ड तोड़ते हुए ठाकरे परिवार ने मुम्बई व महाराष्ट्र को अपनी बपौती समझने की गलतफहमी को वहां की सरकार ने भी काफी हद तक हवा दी है। तभी तो एक के बाद एक गलतियां करने वाले राज ठाकरे व मराठी व मराठियों के लिए उसके मगरमच्छी आंसुओं का असर देखते हुए शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे व उनके कार्यवाहक अध्यक्ष उद्धव ठाकरे भी कुछ इसी तरह की अटपटी व बेहूदगी से भरी वाणी बोलने लगा गए और बेरोकटोक बोलते ही जा रहे थे कि राहुल गांधी भी परदे पर आ ही गए। इसे भला चचा भतीजा ब्रिगेड कैसे सहन कर लेते । सो उलट पुलट बोलते हुए राहुल को चुनौती दे डाली मुम्बई में आने की। अब राहुल भाई भी कोई ऐरे गिरे नत्थू खैरे तो हैं नहीं जो उअनकी धमकी का जवाब न देते। उन्होंनेचुनौती स्वीकार करते हुए मुम्बई में आकर लोकल ट्रेन में यात्रा की, एटीम से पैसे निकलवाए और गरीब बस्ती में भी गए। शिव सैनिक और मनसे के जांबाज़(?) सारा दिन दुबके बैठे रहे। भला क्यों? क्योंकि स्थानीय सरकार ने व केंद्र सरकार ने राहुल की सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम किए हुए थे। काश, यही कदम महाराष्ट्र सरकार पहले भी उठा लेती और अनेक उत्तर भारतीयों(जिनमें ज्यादातर बिहार व यूं.पी से हैं ।)अपनी रोजी रोटी छोड़कर मुम्बई व महाराष्ट्र से पलायन न करते।
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