सोमवार, 16 मई 2011

जनता से नाईंसाफी और सरकारी मनमानी

कल से पट्रोल के दामों में की गयी पाँच रूपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी से जनता में आक्रोश फैलना स्वाभाविक था और उसकी प्रतिक्रिया में प्रदर्शन आदि होने ही थे। यह बात केंद्र सरकार भी अच्छी तरह जानती थी। लेकिन पाँच राज्यों की विधान सभाओं के चुनावों के परिणाम आते ही की गयी यह वृद्धि काफी समय से लटका कर रखी गयी थी। विधान सभा चुनावों में अपनी लाज बचाकर रखने की चिंता के कारण कांग्रेस नीत केंद्र की गठबंधन सरकार ने इसे इस समय तक लटकाए रखने में ही भलाई समझी। ये जनता से नाइंसाफी है। पहले लटकाए रखकर अब एकदम भरी बोझ जनता की जेब पर डालना एकदम तर्करहित और मनमाना है। अब रसोई गैस व डीजल के दामों में भी बढ़ोतरी का मसौदा तैयार है और उच्चाधिकार प्राप्त मंत्री समूह के समक्ष अनुमोदन के लिए भेजा जाने वाला है, जहाँ इसे स्वीकृति मिलने की सम्भावना भी है । यदि ऐसा हुआ तो जनता की जेब पर यह तिहरा डाका होगा। अब यदि लोग सड़कों पर आकर रोष प्रकट न करें तो भला क्या करें। फिर इसी पर राजनीति होगी और धीरे-धीरे असली मुद्दे से लोगों का ध्यान हट जाएगा और इसी तरह सरकारी स्तर पर मूल्यवृद्धि होती रहेगी। परिणामस्वरूप महंगाई बढ़ती ही जाएगी और आम आदमी पिसता ही रहेगा , बार-बार लगातार।

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