शुक्रवार, 6 मई 2011

राजनेता बनाम अधिकारी

राजनेताओं तथा अधिकारियों के बीच गोटी फिट न बैठे तो दोनों के बीच टकराव निश्चित है। यह टकराव किसी भी रूप में हो सकता है। शीतयुद्ध की भांति भी और खुले रूप में भी। बेशक ऐसी कोई भी स्थिति दोनों अपने अहंभाव के कारण पैदा कर लेते हैं। कहीं नेता पर अधिकारी हावी है तो अन्य स्थान पर नेता अपनी बाजी मार ही जाता है। अभीहाल में भी ऐसा ही वाकया देखने का अवसर मिला जब हरियाणा के शिक्षा निदेशक ने आनन-फानन में निर्णय ले लिया कि स्कूल समय में प्रतिदिन डेढ़ घंटे की बढ़ोतरी की जाए और इसके लिए उनकी ओर से परिपत्र भी जारी कर दिया गया। यहाँ तक कि स्कूलों के स्तर पर इस पर अमल भी शुरू हो गया लिस पूरी प्रक्रिया से सम्बंधित मंत्री को पहले विश्वास में ही नहींलिया गया। इस कारण मंत्री महोदया को गिला था और वे परचेज कमेटी की बैठक से अनुपस्थित रही। बाद में मुख्य मंत्री की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में मंत्री महोदया का गिला सामने आया और मामले की जानकारी होते ही मुख्यमंत्री महोदय ने सभी अधिकारियों को सख्त लहजे में कहा कि वे विधायकों व मंत्रियों को पूरा मन-सम्मान दें । उन्होंने शिक्षा निदेशक को कहा कि विद्यालयों का बढाया समय वापस ले लिया जाए। यदि जरूरी हो तो समय आधा घंटे से ज्यादा न बढ़ाया जाए। तब जाकर मंत्री महोदया को सुकून मिला और वे बैठक में पूरे मन से भाग लेती नजर आई।

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