tag:blogger.com,1999:blog-6874654918215559482024-03-14T12:51:17.993+05:30ishwar-bhardwajishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.comBlogger110125tag:blogger.com,1999:blog-687465491821555948.post-44439042022341396442014-09-08T23:09:00.001+05:302014-09-08T23:12:41.000+05:30anushasana ke bina jeevan adhoora hai<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
अनुशासन अनुशासन है. इसे हलके में नहीं लिया जाना चाहिए। कुछ लोग इस सच्चाई से मुंह मोड़ने की कोशिश करते है की जो वो आज कर रहे हैं कल को वही उनके लिए दुर्गम्य बन जाता है। </div>
ishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-687465491821555948.post-3800251456518884602014-06-13T22:01:00.002+05:302014-06-13T22:01:54.641+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="color: blue;">जो हो रहा है वह सही नहीं , </span><span style="color: purple;">जो सही है वह हो नहीं रहा </span><span style="color: #6fa8dc;"> </span></div>
ishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-687465491821555948.post-46320008262995541652013-12-17T23:05:00.003+05:302013-12-17T23:05:42.415+05:30unforgettable<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
परमात्मा का लाख लाख शुक्र है कि परसों की दुर्घटना में हम पति पत्नी मरते मरते बचे। इस बचाव में न जाने किस का लिया दिया आगे आया और हैम आज इस दुनिया में हैं। वरना तो आज बस हमारी यादें ही बाकी रहती । इस अवसर पर सभी सहयोग करने वालों का हम हार्दिक धन्यवाद करते हैं और उन सबकी सर्वभावेन प्रसन्नताओं के लिए हृदय से कामना करते हैं। हमारे पूरे परिवार व रिश्तेदारों के भी हम कृतज्ञ हैं। </div>
ishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-687465491821555948.post-47219920027343257472013-08-02T22:11:00.001+05:302013-08-02T22:11:58.619+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
समाज में दोगलापन इस कदर घर कर गया है कि पहचान पाना मुश्किल हो जाता है की कौन आदमी किस तरफ की बात कर रहा है. </div>
ishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-687465491821555948.post-47012044432803310542013-05-30T23:50:00.002+05:302013-05-30T23:50:18.499+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
it has been the habit of the politicians to curse others for their failure; but they don't like to give credit to the people who are behind their success.</div>
ishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-687465491821555948.post-67659828181608781772013-05-27T23:40:00.002+05:302013-05-27T23:40:36.378+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: left;">
छत्तीसगढ़ का कतले आम </h2>
<br />
छत्तीसगढ़ में परिवर्तन रैली से लौट रहे कांग्रेसी नेताओं के काफिले पर नकली हमले ने पूरे देश के शासनतंत्र को हिलाकर रख दिया है। यह सीधा सीधा देश के लोकतंत्र पर हमला है। इसकी कड़ी से कद्दी निंदा की जानी चाहिए। अब वे तथाकथित मानवतावादी चुप क्यों हैं जो नक्सलवादी नाके मारे जाने पर मानवाधिकार की बात जोर शोर से उठाते हैं और प्रजातंत्र को खामियों से भरा हुआ मानते हैं तथा नक्सलवादियों को गुमराह नौजवान बताकर उनसे बातचीत के जरिये कोइ हल निकालने की बात करते हैं। </div>
ishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-687465491821555948.post-63613181685042632272013-05-19T21:42:00.004+05:302013-05-19T21:42:43.112+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: left;">
मुझे मैं नहीं वो दिखता है </h2>
<br />
यह एक प्रचलन सा हो गया है कि भ्रष्टाचार को बढाने में सरकारी तंत्र व राजनेताओं को दोषी ठहराया जाता है। मेरे विचार से इस हमाम में हम सभी वस्त्रविहीन हैं और सिर्फ अपने सामने वाले को नंगा कहकर यह भूल जात़े हैं कि दूसरों की ऊंगलियां हमारी और उठ रही हैं।<br />
<br />
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ishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-687465491821555948.post-45064725929119095322013-04-04T22:16:00.000+05:302013-04-04T22:16:05.496+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
महिलाओं के विरुद्ध अपराधों पर नकेल कसने के लिए राष्ट्रपति महोदय ने जिस विधेयक को अपनी स्वीकृति प्रदान की है वह यदि सही नीयत लागू किया जाए तो पुरुष और महिला दोनों पर ही मर्यादित रहने का नियम लागू होगा और समाज में एक सकारात्मक सन्देश जाएगा व सुधार आएगा। </div>
ishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-687465491821555948.post-36913187857627967742013-03-06T13:13:00.002+05:302013-03-06T13:13:34.401+05:30injustice to the unemployed<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: left;">
बेरोजगारों से होता अन्याय </h2>
<div>
इसे विडम्बना ही कहा जाएगा कि देश में लाखों बेरोजगारों को काम की तलाश है और देश को मानव शक्ति की निहायत जरुरत है। तिस पर भी न तो बेरोजगारों को रोजगार मिल पा रहा है और न ही देश को उपयुक्त मानवशक्ति। जो थोड़े बहुत रोजगार पा जाते हैं उनमें से अधिकतर सिफारिश या पैसा अथवा दोनों के सहारे इस काम को अंजाम देते पाए गए हैं। बाकी बचे बेरोजगारों को कुछ स्वार्थी व जालसाज लोग एक सुनियोजित तरीके से लूटने का षड्यंत्र रच लेते है। वे कभी प्राइवेट कम्पनी बनाकर तो कभी सरकारी एजेंसी से मिलते जुलते नाम से फर्जी कम्पनी बनाकर लाखों और कभी कभी तो करोड़ों रूपए ठग लेते हैं। न जाने कबतक चलता रहेगा यह सब? </div>
</div>
ishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-687465491821555948.post-22767426925367611692013-02-10T22:00:00.001+05:302013-02-10T22:00:24.530+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h3 style="text-align: left;">
देश और मानवता के दुश्मनों को सजा सही है।</h3>
<br />
अफज़ल गुरु को आखिर उसके किए की सजा मिल ही गयी। देश की संसद को बंधक बनाने की आतंकवादी मंशा को अंजाम दी जाने को रोकते हुए अपनी जान पर खेल जाने वाले शहीदों की शहादत को मान मिल गया। देश के दुश्मनों के साथ इसी तरह सलूक किया जाना निहायत जरूरी है क्योंकि ये देश के ही नहीं मानवता के भी दुश्मन होते हैं। इस पर किन्तु परन्तु अथवा राजनीति करने की कोइ भी कोशिश अथवा मानव अधिकार का वास्ता बेमानी है। मानवाधिकार की बात सभी पर व सदा ही लागू होती हैं, केवल आतंकवादियों को सजा देने के वक्त ही नहीं। </div>
ishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-687465491821555948.post-10752572482482638382013-01-19T23:06:00.001+05:302013-01-19T23:06:18.854+05:30rising and setting sun<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: left;">
लोग चढ़ते सूरज को ही अर्ध्य देते हैं </h2>
<br />
यह कोई नई बात तो नहीं है, लेकिन इसे नजरअंदाज कर पाना भी संभव नहीं है। चढ़ते सूरज को सलाम किया जाता है। उसकी स्तुति की जाती है,पूजा अर्चना की जाती है। सूरज ढलने लगता है तो दुनिया उसे छोड़ चांद के दर्शन करने के लिए इंतजार करने लगती है। सूरज उपेक्षित व असहाय अनुभव करते हुए अस्ताचल को चला जाता है- यह सोचते हुए कि मैं भी कभी पूजित था और दिया जाता था मुझे भी अर्ध्य लोगों द्वारा। कल फिर जब मैं उदित होऊंगा तो वही क्रम दोहराया जाएगा और ऐसा युगों से होता आ रहा है और न जाने कब तक यूँ ही चलता रहेगा।<br />
<br />
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ishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-687465491821555948.post-58969752430918678142013-01-16T20:50:00.002+05:302013-01-16T20:50:56.669+05:30decision or......<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<h2 style="text-align: left;">
<b>यह फैसला यों ही करना था तो?</b></h2>
<b>हरियाणा की राजनीति वैसे तो आया राम गया राम का दंश शुरू से ही झेलती आ रही है, किन्तु वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने तो इसे महिमामंडित करने वाला फैसला देकर और भी किरकिरी करा दी है। वैसे शुऱू से ही लग रहा था कि हजकां की टिकट पर निर्वाचित जिन पांच विधायकों ने जनता व अपनी पार्टी के साथ धोखा करते हुए वर्तमान सरकार बनाने में जो भूमिका निभाई थी उसका प्रतिफल देने में हुडा के नेतृत्व में चल रही सरकार की पूरी मशीनरी एडी चोटी का जोर लगा देगी। इसी कारण विधान सभा के अध्यक्ष को बदला गया और अपने अधिक विश्वस्त को यह कुर्सी सौंपी गई,ताकि सभी दाँव पेच लड़ाकर इन पांचों को उपकृत किया जा सके। वैसे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने भी मामले को लटकाकर रखने में कोई कमी नहीं छोडी थी। तभी तो उनको मंत्रिपद से नवाजा गया था ताकि आने वाला फैसला लेने में इस मेहरबानी को ध्यान में रखे। वैसे स्वर्गीय पंडित चिरंजीलाल जैसे जुझारू व स्वाभिमानी नेता के सुत से जनता को इस तरह के फैसले की उम्मीद नहीं थी।सीधी सी बात को कानून की चासनी में लपेटने की यह तरकीब पूरी तरह अनैतिक व जनविरोधी है। इसे मानना ही पड़ेगा। अध्यक्ष से निजी अथवा अपनी पार्टी के ही हितों के पक्ष में फैसला देने की अपेक्षा कोई नहीं करता होगा, पर यह फैसला दिया गया और वो भी न्यायालय के सख्त आदेशों के बाद वरना शायद पूरा कार्यकाल समाप्त होने तक इसे लटकाया भी जाता, ऐसी संभावना को नकारा नहीं जा सकता। यहां एक बात सीधी सी है कि अगर यही फैसला देना था तो इतना समय,धन बर्बाद करने की जरूरत नहीं थी। जनता अब इतनी भोली नहीम रह गई है की जिन्दा मक्खी को खा जाए।</b><br />
<b><br /></b>
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<h3 style="text-align: left;">
फिर आ रहा है प्रेस दिवस </h3>
<div>
<br /></div>
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16 नवम्बर को प्रति वर्ष देश भर में प्रैस दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन 1966 में प्रथम प्रेस आयोग की सिफारिश पर भारतीय प्रैस परिषद की स्थापना की गयी थी। इसके प्रमुख उद्देश्य के रूप में प्रैस के उच्च मानदंडों के अनुसार प्रेस व मीडिया द्वारा जिम्मेवारी के साथ अपने क्र्त्ताव्योम का निर्वाहना किया जाना और उसके इस कत्तव्य पालना में उसे हर तरह के दबाव आदि से मुक्त रखना था। हर वर्ष इस दिन जगह जगह सेमिनार व संगोष्ठी आयोजित की जाती हैं। मीडिया व सर्कार दोनों की ही भूमिका की समीक्षा होती है और कुछ्नाए सुझाव व् संकल्प लिए जाते हैं। शायद कहीं कभी किसी और कुछ असर होता भी हो। लेकिन न तो उल्लंघन करने वाले उधर से आते हैं और न ही इधर से कोइ गंभीरता दिखाए देती है। फिर भी परम्परा निभाए जा रही है साल दर साल, बेशक अनेक पत्रकार बंधू इस को कोए खास महत्त्व न देते हों । </div>
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ईश्वर चन्द्र भारद्वाज </div>
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<br /></div>
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<b><u>तू मेरी छुपा मैं तेरी ढक दूँ </u></b><br />
<br />
राजनीति बड़ी विशिष्ट चीज है। यहाँ के भ्रष्टाचार रुपी हमाम में सभी तो नंगे हैं। फिर भला कोई किस पर ऊँगली उठाए और कौन किस पर क्या आरोप लगाए। जब कोइ एक भ्रष्टाचार के गर्त में डूबता दीखता है तो भाई लोग पहले तो कुछ समझ नहीं पाते और जब समझने लगते हैं तो पासा पलटकर विरोधी दल पर गाज गिराने लगता है। फिर तो चोर चोर मौसेरे भाई की तरह वे मिलकर आरोप लगाने वाले को घेरने को एकजुट हो जाते हैं। फिर आरोप बाबा रामदेव ने लगे हों या एना हरे ने अथवा केजरीवाल ने। इनकी एकजुट देखते ही बनती है। कांग्रेस पर लगे आरोपों पर मजे लेने के बाद बीजेपी जब खुद इन आरोपों की शिकार हुई तो कई कांग्रेसी भाई भी बचाव में आ खड़े हुए और आरोप लगाने वालों को ही कटघरे में खड़ा करने लगे। बेशक कुछ विरोधी व हमपार्टी सदस्य अंदर ही इस बात को लेकर खुश थे की उनके हमाम में वे अकेले नहीं हैं। विरोधी धुरंधर भी आन फंसे हैं। फिर शुरू होता है उनका सुर में सुर मिलाने का सिद्धान्तहीन आलाप। फिर भला भ्रष्टाचार मिटने का सपना साकार होना तो दूर,ऐसा सपना आना भी शुरू नहीं होने वाला नहीं , ऐसा लगता है। <br />
<br />
<br />
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<div style="text-align: left;">
<b><u>यहाँ किसी को किसी पर विश्वास नहीं </u></b></div>
<div style="text-align: left;">
<b><u><br /></u></b></div>
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सब डरे डरे से हैं कि कहीं सामने वाला कोई चालाकी तो नहीं खेल रहा है। बाबा रामदेव को डर है कि अन्ना की टीम के सदस्य न जाने कौनसा दांव खेल कर उनकी छवि को ग्रहण लगा दें। यहाँ तक कि अन्ना जी को भी अपने सहयोगियों में काली भेड़ें होने की आशंका बनी रहती है। इसी कारण वे अपनी टीम को कई बार भंग कर चुके हैं। ममता दीदी को कांग्रेस पर विश्वास न रहा और उन्होंने अलग राह पकड ली। मुलायम जी को बेशक माया मैडम पर भरोसा नहीं है। इसीके दृष्टिगत मन मारकर वो उनके साथ ही कांग्रेस की ताकत बढा रहे है। साथ ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश व् मूल्यों में बढ़ोतरी के खिलाफ विपक्षी दलों के बंद में भी शामिल हो रहे हैं। जयललिता को करूणानिधि पर कैसे विश्वास हो सकता है? इधर रविशंकर से खार खाए बैठे येदुरप्पा बार बार कर्नाटक में भाजपा आलाकमान के सामने ऑंखें तरेर रहे हैं। अब आप ही सोचिए की नीतीश कुमार नरेन्द्र मोदी के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं जबकि लोग मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की बातें करते हैं। इसी कारण नीतीश ने शरद भाई को सलाह दे डाली कि गुजरात में राजग के साथ नहीं उसके विरुद्ध चुनाव लड़ा जाए। उपर से एक लगने वाले भाजपा व् हजकां भी खुलकर अपने पत्ते नहीं खोल रही हैं। प्रदेश की पार्टियों पर विश्वास न होने कारण चौटाला जी पंजाब में अकाली दल से प्रेम निरंतर बनाए हुए हैं।यही घालमेल और गोलमाल देश हित में कैसे हो सकता है यह अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं। </div>
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<b><u>वही पुराना खेल पैसे सिफारिश की रेलमपेल </u></b><br />
<br />
मैंने जब से होश संभाला है दो राजनैतिक कलाबाजियों को देखा भी है और भोगा भी है। पहली तो यह कि नौजवानों को नौकरी के लिए पढाई की नहीं सिफारिश और धन की जरूरत है। इसी कारण युवाओं का पढाई में रुझान दिन प्रतिदिन घटता जा रहा है और युवा मजबूर हैं नकल के सहारे केवल परीक्षाओं को पास करने को। इससे भ्रष्टाचार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता जा रहा है। पूरा देश त्रस्त है इस महाराक्षस से। दूसरी बात जो मुझे नागवार गुजरी वह है थोक में दल बदल। इससे वैसे तो पूरा देश ही ग्रस्त है, पर हरियाणा के आयाराम गयाराम तो देश भर में कुख्यात हैं। इसने ही राजनीति में भ्रष्ट आचरण को सातवें असमान पर पहुंचा दिया है। पहले यह सत्ता सुख पाने के लिए शुरू हुआ और फिर करोड़ों लेकर सत्ता सुख भी लिया जाने लगा। इसी कर्ण चुनावों में येनकेन प्रकारेण अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए मतदाताओं को भी धनादि का लालच दिया जाने लगा और भ्रष्टाचार ने निचे से उपर तक अपनी पैठ बना ली। आज तो राजनीति में भ्रष्टाचरण द्वारा मिलबांट कर कमाई करने की सूची में पैसे लेकर नौकरी देना भी शामिल हो चुका है। इसीलिए सत्ताधारी दल के विधायक अधिक फायदे में हैं।<br />
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कई दिन बाद ब्लॉग लिखने का मौका मिला। पहले तो फोन खराब, फिर इन्टरनेट और कम्प्यूटर में समस्या। बस इसी तरह दिन बीतते बिताते महीने से भी ज्यादा समय लग गया और मैं ब्लॉग पर आ ही नहीं पाया। इस दौरान अनेक परिवर्तन हुए अनेक साथी छूटे और अनेक जुड़े। अभी भी यह सिलसिला चल ही रहा है।हर और नयापन, हर दिशा में परिवर्तन की लहर। अब जल्दी ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के आने के लिए रास्ता साफ करने की सरकार की कवायद और विपक्ष की<br />
हायतौबा दर्शा रही है की जनता तो इस खेल में पीछे छूट गयी है।<br />
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जीवन में लोगों को अनेक तरह के उतार चढ़ाव देखने को मिलते हैं कभी कभी तो वह इनसे घबराकर जीवन को ही अलविदा कहने का मन बना लेता है और वह करने को तत्पर हो जाता है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती यह भी एक बड़ी विडम्बना है। </div>ishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-687465491821555948.post-64617414744817371012012-07-23T22:18:00.004+05:302012-07-23T22:19:14.326+05:30attack on baba ramdev<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ये खबर हमारे कुछ राजनेताओं को बेशक खुश करे कि मध्यप्रदेश में कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने बाबा रामदेव के काफिले पर हमला किया व स्वयं बाबा की गाडी पर भी लाठियों से वार किए जिससे गाडी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी। इस घटना में कुछ पुलिस अधिकारी व कर्मचारी तथा अन्य कई लोग घायल हो गए थे। इस के बाद एक कांग्रेसी नेता का बयान आया था कि हमारे कार्यकर्ताओं ने रामदेव को सभास्थल से खदेड़ दिया और सभा नहीं करने दी। अपनी पीठ थपथपाने वाले इस बयां से वे नेता शायद अपने आकाओं को खुश करने की कोशिश करने की नीयत से बोले हों, लेकिन ऐसी मोर्ख्तापूर्ण बयानबाजी का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है।<br />
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इस बार फिर दिल्ली पुलिस ने अन्ना हजारे को जंतर मंतर पर अनशन करने की अनुमति न देकर अपनी राजनैतिक अपरिपक्वता का परिचय दिया है। इतने बडे जन आन्दोलन को दबाने के ऐसे ओछे हथियार को अपनाने की उम्मीद तो इस सरकार से थी ही। लेकिन बेतुके तर्क देकर उसने अपनी फजीहत ही कराई है। सांसदों को तो यह सब देखना ही चाहिए था कि देश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जनता किस प्रकार एकजुट होकर आंदोलित है और सांसदों को उनकी मांग पर ध्यान देना ही चाहिए क्योंकि जनता ने ही सांसदों को चुनकर भेजा है ताकि वे स्वच्छ व पारदर्शी प्रशासन दें और देश की प्रगति में बाधक भ्रष्टाचार व इसके पोषकों पर नकेल कसने के लिए सशक्त जन लोकपाल की पैरवी करें।| बल्कि वे मिलकर जनता को लूटने की इस व्यवस्था को समूल नष्ट करने के लिए संसद में पुरजोर वकालत करें।|<br />
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राष्ट्रपति भवन में अपने चहेते व्यक्ति को भेजने के लिए सभी राजनैतिक दल अपनी राजनीति व रणनीति रच रहे हैं। लोकतन्त्र में यह स्वाभाविक भी है। लेकिन इसके लिए एक स्वच्छ छवि व बेदाग़ दामन वाले व्यक्ति को सर्वसम्मति से चुनने के प्रयास किए जाएं तो देश व समाज के हित में होगा। किन्तु दुर्भाग्यवश राजनैतिक हितों के टकराव के कारण ऐसा नहीं होता है और राष्ट्रपति भवन में अपने पक्ष में फैसले कराने की गरज से अपने अपने उम्मीदवार खड़े किए जाते हैं और इस कारण अकारण ही राष्ट्रपति भवन को राजनीती का अखाडा बना दिया जाता है।<br />
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आजकल स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियाँ हैं। इस कारण कई स्कूलों में सम्मर कैम्प का आयोजन किया जा रहा है। इन कैम्पों के माध्यम से बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार विभिन्न गतिविधियों में अपनी प्रतिभा को निखारने का अवसर देने की बात कही जाती है। इनमें विभिन्न विषयों के जानकारों को बुलाकर बच्चों को विभिन्न प्रकार की जानकारी दी जाती है। ये अच्छे और शुभ संकेत हैं। यह बात दीगर है कि हर बात में हमेशा ही सुधार की गुंजायश बनी रहती है। अत: इस कार्य में सुधार की ओर हम विभाग का ध्यान दिलाना चाहते हैं। आशा है इन कैम्पों के द्वारा नैतिक शिक्षा व् व्यक्तित्व विकास पर ध्यान देते हुए कुछ विषयों को अवश्य ही शामिल किया जाएगा।<br />
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<strong><u>भाजपा की अंतर्कलह </u></strong><br />
इन दिनों भारतीय जनता पार्टी में कांग्रेस जैसी अंतर्कलह चल रही है। कर्णाटक में पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा अपने बागी तेवरों से जहाँ हाईकमान को परेशान किए हुए हैं, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी हैसियत के बलबूते संजय जोशी जैसे स्तम्भ को पार्टी से निकलवाने में सफल रहे। राजस्थान में वसुंधरा राजे के बागी तेवरों पर भले ही काबू पलिया गया है, किन्तु आग अभी भी सुलग रही है। इससे पहले महाराष्ट्र में गोपीनाथ मुंडे अपनी अलग डफली बजाते बजाते रह गए। एक अनुशासित पार्टी मानी जाने वाली पारी में आजकल उच्च स्तर पर चल रहे मतभेद भी किसी से छुपे नहीं हैं। राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका में नजर आने वाली इस पार्टी से जनता को बहुत उम्मीदें हैं। कांग्रेस नीत संप्रग के विकल्प के रूप में जनता को भाजपा नीत राजग अपनी आशाओं पर खरा उतरने वाला लगता है। लेकिन इसमें चल रही उठापटक व उच्च स्तर पर आई दरारें उनके मन में संशय पैदा कर रही हैं।<br />
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it has been since long that i feel the heat of my friends' foolishness and cowardice work in the past. for that i have to face a lot of harassment. he had no intention to do anything to let me face such awkwardness, but unfortunately it is true. later he felt it and sent me a sorry throug a common friend. that was a good gesture. bu i had to loose a very rare opportunity due to that. but it is also true that it is useless crying over spilt milk.</div>
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my other blog is : <strong>parat dar parat</strong></div>
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my e-mail : <a href="mailto:bhardwajishwar001@gmail.com">bhardwajishwar001@gmail.com</a> </div>
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aaj phir ek train looti gaee aur vo bhi dilli men. itana hee naheen, august kranti ke pahale dare ke yatriyon ko loota gaya desh kee rajdhani men, sarkar men baithe neta apne upar koee bhee jimmevaree lene ko taiyar naheen, bas bahas karate hain annahajare aur ramdev ko dabaane ke aochhe hathkandon ko sahee batane ke lie. bechare aur kar bhee kya sakte hain. mafiyaon ke hathon men desh aur ye phir bhee safedposh.hairanee hai,dhikkar hai aisee akrmanyata par use bachane ke lie apnae ja rahe aochhe hathakndon par.</div>ishwar bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/08781247666027917124noreply@blogger.com0