गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

jindagi jo de vahee sahee hai, maan lo...

जिन्दगी जो दे वही सही है

जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है, मुर्दे भी क्या खाक जिया करते हैं ।यह बात हम बहुत पहले से सुनते आ रहे हैं। न जाने किसी ने क्या सोचकर कही थी यह बात जो आज जिन्दगी से हारने की दहलीज पर आ चुके अनेक लोगों के लिए संजीवनी से कम नहीं। हम हर तरह से संभलकर चलने की भरपूर कोशिश करते हुए भी कभी कभी जिन्दगी के ऐसे दलदल में फंस जाते हैं जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की होती।  प्राय: उस कसूर की सजा भी हमें भुगतनी पड़ जाती है जो हमने किया ही नहीं होता । यह विडम्बना सभी को कभी न कभी किसी न किसी  रूप  में भोगनी पड़ती  है ;  चाहे  मानें या न मानें। जिन्दगी के कड़वे घूँट न चाहते हुए भी पीने पड़ते हैं- चुपचाप। न गिला  न शिकवा ।  इसके लिए कोई गुंजायश ही न छोडी जाती। फांसी पर चढ़ने  वाले से भी  बुरा हाल हो जाता है  इंसान  का। कोई सुनवाई नहीं; यदि है तो बेमतलब, बेनतीजा। ऐसी स्थिति में इन्सान निराश और उदास हो जाता है, अवसाद से भर जाता है। कई बार हालत के वशीभूत होकर बहुत भयानक कदम उठा लेता है जिससे उसकी जिन्दगी तो बर्बाद हो ही जाती है, कई औरों को भी लपेट लेता है। किन्तु यह सही नहीं है। ऐसे समय पर ही जिन्दगी की जिन्दादिली काम आती है। इस स्थिति में सामान्य व  सहज तथा  शांत  रहना  निहायत जरुरी है। बस यह मानकर अच्छे वक्त के आने का इंतज़ार करे कि जिन्दगी जो दे वही सही है।  
मेरा अन्य ब्लॉग है : parat dar parat 

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