रविवार, 24 अप्रैल 2011

अन्ना हजारे हों या बाबा रामदेव। दोनों ही हमारे भ्रष्ट राजनेताओं व रिश्वतखोर अधिकारियों के लिए खतरे की घंटी हैं। यही कर्ण है कि सरकारी व सत्तासीन पार्टी की ओर से इनके खिलाफ हर ऐसा बयान देने वालों की कमी नहीं है जिन्हें इनके जबरदस्त जनांदोलन से खतरा महसूस हो रहा है। आए दिन कोई न कोई नया बयान गड़े मुर्दे उखाड़ने की हर मुमकिन कोशिश करता हुआ इन जन आन्दोलन के नायकों को किसी न किसी तरह भ्रष्टाचार से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में जोड़ने की जुगत भिड़ाता है। पर इनमें किसी तरह का दम न होने ऐसे बयान स्वयं ही अपनी मृत्यु का ग्रास बन रहे हैं। सो ऐसे अवसर का उपयोग ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग करके किया जाना चाहिए, न कि ऊर्जा के अपव्यय का रास्ता चुनना चाहिए।

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