गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

हर घर की बीमारी

आज के ज़माने में कोई भी घर ऐसा नहीं है जिसमें कभी भी कोई कहा सूनी न हुई हो। यह स्वाभाविक भी है और जरूरी भी। ऐसा होने के कारण ही हम एक दूसरे के साथ जिन्दगी की असलियत को निभाना सीखते हैं। इसीसे हम जीवन के मूल्यों को समझते हैं। विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति व ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में आने वाली हर कठिनाई से पर पाना सरल हो जाता है। लेकिन यह यहीं तक सीमित रहे तो ठीक है । इससे आगे बढ़ जाना शुभ संकेत नहीं होता क्योंकि इससे मनमुटाव बढ़ जाता है और सदा के लिए अलगाव आ जाता है। ऐसा होना नहीं चाहिए क्योंकि इससे सामाजिक ताना बाना तहस नहस होने लगता है और पारस्परिक सदभाव संशय में बदलकर समाज के लिए घटक बन जाता है ।

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