शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

सुरक्षा को राजनीति से ऊपर रखा जाए

श्रीनगर के लालचौक में फिर आतंकवादियों ने हमला करके जतला दिया है कि वे जब चाहें,जहां चाहें हमला कर सकते हैं।उनके हौंसले पहले की ही तरह बुलंद हैं। ये आतंकवादी केन्द्रीय रिजर्व पुलिस की टुकड़ी पर हमला करके एक होटल में जा घुसे और लगभग बाईस घंटे चली मुठभेड़ के बाद इन दोनों आतंकवादियों को मार गिराया गया किन्तु इस मुठभेड़ में सी.आर.पी.एफ के दो जवानों सहित तीन भारतीयों की मौत भी हो गयी। दर असल जम्मू-कश्मीर के युवा मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के दबाव में आकर केंद्र सरकार ने सी.आर.पी.एफ.को राज्य से हटाना शुरू कर दिया क्योंकि उमर अब्दुल्ला के अनुसास राज्य में अब आतंकवादी घटनाओं में काफी कमी आ गयी है। कांग्रेस ने राज्य में उनके साथ मिलकर सरकार चला रहे उमर की अत्यंत जोश में भरी इस मांग को भाव देते हुए ही उक्त कदम उठाया था। पर अब्दुल्ला ने राज्य में चल रही पाकिस्तानी घुसपैठ को नजरंदाज करते हुए और इस संवेदनशील राज्य के भौगोलिक स्थिति की और ध्यान न देते हुए सिर्फ आर्थिक विकास के नाम पर राज्य से सभी केन्द्रीय बलों को हटाने पर जोर दिया। उनकी इस बचकानी मानी जा रही मांग को केंद्र सरकार ने भी राजनैतिक कारणों से मान लिया। अब उसके परिणाम सामने आने लगे हैं। हैरानी तो इस बात की है कि बड़े आतंकवादी हमले की खुफिया सूचना दी जाने के बावजूद यह घटना हो जाने से साफ संकेत मिलते हैं कि उच्च स्तर पर सुरक्षा के प्रति संवेदनशीलता का अभाव है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। इस ओर गंभीर प्रयास किए जाने की नितांत व तुरंत आवश्यक हैं। ( मेरा अन्य ब्लॉग है: parat dar parat )

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