रविवार, 25 अप्रैल 2010

सबसे बड़ा रुपैया

पैसा एक ऐसी चीज है जो मनुष्य को इंसान से हैवान तक बन देता है। यह मनुष्य को अहंकारी एवं बुद्धिहीन करने में देर नहीं लगाता है। यह अपनों को ही अपनों के विरुद्ध खड़ा कर देता है तथा सभी रिश्तों को तार-तार कर देता है। सभी प्रकार की मर्यादा को ताक पर रखवा देता है और आदमी को अपने तक ही सीमित बना देता है। अब भारतीय क्रिकेट बोर्ड को ही लीजिए। आज इसमें जो जूतामपजार चला आ रहा है उसके पीछे पैसा ही तो है। कलतक जो साथ-साथ अकूत धन कमा रहे थे आज वही एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं क्योंकि कहीं न कहीं मिल-बाँट करने में चूक रह गयी होगी। पुराने हिसाब बराबर करने वाले भी आ डटे हैं मैदान में। इसका अंत क्या होगा कुछ निश्चित रूप से कह पाना मुश्किल है, किन्तु यह अंत भी पैसा ही करेगा.
-ईश्वर भरद्वाज

1 टिप्पणी:

  1. उम्दा सोच पर आधारित प्रस्तुती के लिए धन्यवाद / ऐसे ही सोच की आज देश को जरूरत है /आप ब्लॉग को एक समानांतर मिडिया के रूप में स्थापित करने में अपनी उम्दा सोच और सार्थकता का प्रयोग हमेशा करते रहेंगे,ऐसी हमारी आशा है / आप निचे दिए पोस्ट के पते पर जाकर, १०० शब्दों में देश हित में अपने विचार कृपा कर जरूर व्यक्त करें /उम्दा विचारों को सम्मानित करने की भी व्यवस्था है /
    http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html

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