रविवार, 8 मई 2011
अनुपालन सभी नियमों का कराया जाना चाहिए
एक अजीब सी स्थिति है हमारे देश में पुलिस की। उससे भी अजीबोगरीब हैं अपनी कार्रवाई के औचित्य के पक्ष में दी गए उनके कुतर्क, जो केवल पुलिसिया धौंस के आधार पर वे देकर अपने टार्गेट को पूरा करने के नाम पर बेरोकटोक मनमानी करते हैं और फिर भी उच्चाधिकारी एक ही बात कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश करते हैं उन्हें इस बात या घटना की जानकारी नहीं है।वे यह कहना भी नहीं भूलते कि जल्दी ही पूरी जानकारी लेकर मामले के दोषी को सख्त सजा दी जाएगी। पर उसके बाद क्या होता है, अल्प स्मरण शक्ति के कारन जनता को न तो इसके सुध ही रहती है और न ही जनता की इस कमजोरी का लाभ लेकर मामले को अपने पक्ष में मोड़ लेने की महारत रखने वाले हमारे पुलिस,प्रशासनिक अथवा राजनीतिक सरगनाओं के पास ही मामले की तह तक जाकर दोषी को दण्डित करने की फुरसत होती है। आजकल भी समय-समय पर अपनी फुर्ती ट्रेफिक के चुनिन्दा नियमों का उल्लंघन करने वाले दुपहिया चालकों के चालान काटकर अपने कोटा पूरा करने के लिए पुलिस सक्रिय दिख रही है। मेन रोड की बात तो छोडिए.सेक्टरों के अन्दर या गलियों में भी पुलिस का यातायात विभाग अपनी पूरी चुस्ती फुर्ती के साथ चालान कटाने में लगा हुआ है। इसी तरह कभी कभी कर अदि के चालान अपनी पसंद के छोटे से छोटे नियम के उल्लंघन के नाम पर चालान काटे जाते हैं और साथ मेन यह भी दर्शाने की कोशिश की जाती है कि यह चालान तो कम पैसे वाला काटा गया है। वैसे कागजों मेन मीनमेख निकालकर किसी न किसी बात के लिए चालान काटते हमारे ये कानून के रखवाले रेलेव फाटकों पर धड़ल्ले से नियमों का उल्लंघन नहीं देख पाते।
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