यह सिलसिला चलते रहना चाहिए आज एक सुखद एहसास हुआ इस बात को लेकर कि पानीपत जिला प्रशासन के आला अधिकारियों की टीम जिले के सुदूरवर्ती गाँव उरलाना कलां, जोकि मेरा जन्मस्थान है और वर्तमान में कार्यस्थल भी, में पधारी । इस अवसर पर गाँव के लोगों को अपने जिले के उच्चतम पदों पर आसीन अधिकारियों से आमने सामने बात करने का मौका मिला तो वे गदगद हो गए।ग्राम पंचायत सहित अनेक लोगों ने मांग-पत्र व अपने आवेदन-पत्र इस आस में दिए कि अब उनकी जरूर सुनी जाएगी। माहौल काफी सुकून भरा था। सभी अपनी अपनी शिकायतें-फरियादें लेकर एक दूसरे से आगे बढ़कर इस तरह प्रस्तुत करने की होड़ में थे मानो आज ही उनकी समस्याओं का हल उन्हें मिल जाएगा।कई तो वहीं पर खड़े किसी न किसी को पकड़कर अपनी समस्या से सम्बन्धित चिट्ठी लिखवाकर दे रहे थे। अधिकारियों ने भी बड़े ध्यान से उनकी बातें सुनी और उनपर गौर करने का आश्वासन दिया। बेशक इन सभी समस्याओं का हल एक साथ निकल पाना मुश्किल है, फिर भी लोगों को इस बात का इत्मीनान था कि उनकी सुनने के लिए खुद जिले के आला अधिकारी आए हैं उनके अपने गाँव में, उनके बीच में। काश! यह सिलसिला पहले से ही चला होता और लोगों से सीधे तौर पर फीडबैक लेकर अधिकारी अपने जिले की कार्य योजना तैयार करते तो लोगों की अधिकतर समस्याएँ अपने आप ही सुलझ गयी होती। उम्मीद है कि भविष्य में यह सिलसिला जारी रहेगा और लोगों को अपनी बात कह भर लेने का ही सही, सुकून तो मिलता रहेगा। ---ईश्वर चन्द्र भारद्वाज----
गुरुवार, 26 अप्रैल 2012
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