मंगलवार, 15 नवंबर 2011

doharaa charitra

यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि मनुष्य अपने लबादे में अनेक कुकृत्य करता है और उनका भंडाफोड़ होने से डरता है. इसके साथ-साथ वह दूसरों की बेइज्जति  करने का कोइ मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता है. यह भरी विरोधाभास सभी जगह सभी जाति व समुदायों में सामान रूप से पाया जाता है. सब इस बात को बुरा बताते भी हैं और ऐसा करने वालों को अच्छा नहीं मानते हैं. फिर भी यह बदस्तूर जारी है. इसे दोहरे चरित्र का सबूत नहीं तो फिर क्या कहा जाएगा? 

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