संविधान का घोर उल्लंघन व मनमानी के सभी रिकार्ड तोड़ते हुए ठाकरे परिवार ने मुम्बई व महाराष्ट्र को अपनी बपौती समझने की गलतफहमी को वहां की सरकार ने भी काफी हद तक हवा दी है। तभी तो एक के बाद एक गलतियां करने वाले राज ठाकरे व मराठी व मराठियों के लिए उसके मगरमच्छी आंसुओं का असर देखते हुए शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे व उनके कार्यवाहक अध्यक्ष उद्धव ठाकरे भी कुछ इसी तरह की अटपटी व बेहूदगी से भरी वाणी बोलने लगा गए और बेरोकटोक बोलते ही जा रहे थे कि राहुल गांधी भी परदे पर आ ही गए। इसे भला चचा भतीजा ब्रिगेड कैसे सहन कर लेते । सो उलट पुलट बोलते हुए राहुल को चुनौती दे डाली मुम्बई में आने की। अब राहुल भाई भी कोई ऐरे गिरे नत्थू खैरे तो हैं नहीं जो उअनकी धमकी का जवाब न देते। उन्होंनेचुनौती स्वीकार करते हुए मुम्बई में आकर लोकल ट्रेन में यात्रा की, एटीम से पैसे निकलवाए और गरीब बस्ती में भी गए। शिव सैनिक और मनसे के जांबाज़(?) सारा दिन दुबके बैठे रहे। भला क्यों? क्योंकि स्थानीय सरकार ने व केंद्र सरकार ने राहुल की सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम किए हुए थे। काश, यही कदम महाराष्ट्र सरकार पहले भी उठा लेती और अनेक उत्तर भारतीयों(जिनमें ज्यादातर बिहार व यूं.पी से हैं ।)अपनी रोजी रोटी छोड़कर मुम्बई व महाराष्ट्र से पलायन न करते।
(my other blog is : parat dar parat)
रविवार, 7 फ़रवरी 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
बढिया लिखा।
जवाब देंहटाएं