यहाँ किसी को किसी पर विश्वास नहीं
सब डरे डरे से हैं कि कहीं सामने वाला कोई चालाकी तो नहीं खेल रहा है। बाबा रामदेव को डर है कि अन्ना की टीम के सदस्य न जाने कौनसा दांव खेल कर उनकी छवि को ग्रहण लगा दें। यहाँ तक कि अन्ना जी को भी अपने सहयोगियों में काली भेड़ें होने की आशंका बनी रहती है। इसी कारण वे अपनी टीम को कई बार भंग कर चुके हैं। ममता दीदी को कांग्रेस पर विश्वास न रहा और उन्होंने अलग राह पकड ली। मुलायम जी को बेशक माया मैडम पर भरोसा नहीं है। इसीके दृष्टिगत मन मारकर वो उनके साथ ही कांग्रेस की ताकत बढा रहे है। साथ ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश व् मूल्यों में बढ़ोतरी के खिलाफ विपक्षी दलों के बंद में भी शामिल हो रहे हैं। जयललिता को करूणानिधि पर कैसे विश्वास हो सकता है? इधर रविशंकर से खार खाए बैठे येदुरप्पा बार बार कर्नाटक में भाजपा आलाकमान के सामने ऑंखें तरेर रहे हैं। अब आप ही सोचिए की नीतीश कुमार नरेन्द्र मोदी के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं जबकि लोग मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की बातें करते हैं। इसी कारण नीतीश ने शरद भाई को सलाह दे डाली कि गुजरात में राजग के साथ नहीं उसके विरुद्ध चुनाव लड़ा जाए। उपर से एक लगने वाले भाजपा व् हजकां भी खुलकर अपने पत्ते नहीं खोल रही हैं। प्रदेश की पार्टियों पर विश्वास न होने कारण चौटाला जी पंजाब में अकाली दल से प्रेम निरंतर बनाए हुए हैं।यही घालमेल और गोलमाल देश हित में कैसे हो सकता है यह अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं।
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