राष्ट्रपति भवन में अपने चहेते व्यक्ति को भेजने के लिए सभी राजनैतिक दल अपनी राजनीति व रणनीति रच रहे हैं। लोकतन्त्र में यह स्वाभाविक भी है। लेकिन इसके लिए एक स्वच्छ छवि व बेदाग़ दामन वाले व्यक्ति को सर्वसम्मति से चुनने के प्रयास किए जाएं तो देश व समाज के हित में होगा। किन्तु दुर्भाग्यवश राजनैतिक हितों के टकराव के कारण ऐसा नहीं होता है और राष्ट्रपति भवन में अपने पक्ष में फैसले कराने की गरज से अपने अपने उम्मीदवार खड़े किए जाते हैं और इस कारण अकारण ही राष्ट्रपति भवन को राजनीती का अखाडा बना दिया जाता है।
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