शुक्रवार, 10 जून 2011

भ्रष्टाचार व गुंडागर्दी का खौफनाक चेहरा कितना बेखौफ हो गया.

भ्रष्टाचार में लिप्त होने व पैसे लेकर नौकरी दिलवाने का झांसा देकर लोगों को ठगने का काम हरियाणा में किस स्तर तक जा पहुंचा है यह करनाल जिले के कम्बोपुरा गाँव के पूर्व सरपंच कर्मसिंह की ह्त्या में हरियाणा के दो बड़े नेताओं के कथित रूप से शामिल होने से और पुख्ता हो गया है। मुख्यमंत्री के लाख दावों के बावजूद यह भ्रष्ट आचरण धड़ल्ले से चल रहा है। इसी सन्दर्भ में अपना नाम आने के परिणाम स्वरूप दबाव बढ़ने से हरियाणा के परिवहन मंत्री ओमप्रकाश जैन व मुख्य संसदीय सचिव जिलेराम शर्मा ने आखिरकार अपने इस्तीफे देने ही पड़े क्योंकि मुख्य मंत्री भूपेन्द्र सिंह हूड्डा ने अकेले में उनकी बात सुनने के अनुरोध को ठुकराकर सबके सामने ही अपनी बात रखने को कहा। उनकी इस सख्ती को भांपते हुए दोनों ने वहीं पर अपने अपने त्यागपत्र मुख्यमंत्री को सौंप दिए।जिलेराम का त्यागपत्र मुख्यमंत्री ने तुरंत स्वीकार कर लिया जबकि ओमप्रकाश जैन के त्यागपत्र को राज्यपाल के पास स्वीकृति हेतु भेज दिया। ओमप्रकाश जैन पानीपत देहात से निर्दलीय विधायक के रूप में चुने गए थे व हुड्डा सरकार में मंत्री का दर्जा पाने में कामयाब रहे जबकि जिले राम शर्मा हजकां के टिकट पर असंध से चुनाव जीते व बाद में पाला बदलकर हुड्डा के साथ जा मिले और मुख्य संसदीय सचिव के पद पर आसीन हो गए। मृतक के पुत्र राजिन्द्र के अनुसार जिले राम शर्मा ने उसे पुलिस में भर्ती कराने के लिए उसके पिता से 4.95 लाख रूपए लिए थे। इसी प्रकार ओमप्रकाश जैन पर उसने आरोप लगाया कि उनके एक रिश्तेदार से परिवहन विभाग में नौकरी लगवाने के लिए साढ़े चार लाख रूपए लिए तथा स्वयं उसे कंडक्टर की नौकरी दिलवाने के लिए साढ़े तीन लाख रूपए लिए थे। राजिन्द्र के अनुसार दोनों ने ही न तो नौकरी दिलवाई और न ही पैसे वापस किए। यदि यह सही है तो राजनीति में भ्रष्टाचार का ग्राफ इस स्तर पर पहुंचना भयंकर खतरे का संकेत है। अब किस पर विश्वास करेंगे लोग और किससे फरियाद करेंगे?अन्ना हजारे व बाबा रामदेव के आन्दोलन को कुचलने के पीछे की मनसा का इस प्रकार की घटनाओं से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें